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Shatrunjay Giriraj Stuti | Stuti With Lyrics |Jain Stuti Stavan

Shatrunjay Giriraj Stuti ( श्री शत्रुंज्यगिरिराज स्तुति )



तीर्थो जगतमां कैक छे, तीर्थो तणो तोटो नथी,
शाश्वत गिरि श्री सिद्धगिरि छे, क्यांय तस जोटो नथी;
कोडो मुनि मोक्षे गया लई शरण आ गिरिराजनुं
धरुं ध्यान गिरिशणगार, जगदाधार आदि जिसंद हे 1

श्री सिद्धिगिरि शाश्वतगिरि वळी पुंडरिक गिरि नाम छे,
पुष्पदंत गिरि ने विमलगिरिवर, सुरिगिरि जस नाम छे,
गिरिराज शत्रुंज्य सहित जस एक शत अष्ट नाम छे. धरुं 2

सौराष्ट्रमां गिरिराज छे, गिरिराज पर जिनराज छे,
पापी अधम छुं तोय, मुजने तरी जवानी आश छे,
में सांभळ्युं छे, तीर्थ आ भवजलधिमांही जहाज छे. धरुं 3

त्रण भुवनना शणगार एवा, विमल गिरिवर उपरे,
त्रण जगतना तारक बिराजे, आदि जिनवर मंदिरे.
अदभुत ज्योति झळहळे जे जोई देवो पण ठरे. धरुं 4

श्री विमलगिरि तीर्थेश, आदिनाथनुं धरे ध्यान जे,
षट महिना-लागलगाट पामे दिव्यतेज प्रकाश ते,
चक्रेश्वरी तस इष्ट पूरे, कष्ट नष्ट करे सदा. धरुं ० 5

भक्तो तणी भीडमां प्रभु मुजने न तुं भुली जतो,
दूर दूरथी तुजने निरखवा, आश लई हुं आवतो,
क्षणवार पण तुज मुखना दर्शन थतां हुं नाचतो, धरुं  6

हे नाथ ! तारुं मुखडुं जोवा नयन मारा उल्लासे,
हे नाथ तारा वयण सुणवा श्रवण मारा उल्लासे;
हे नाथ तुजने भेटी पडवा, अंग अंग समुल्लसे. धरुं 7

कलिकाळमां अद् भुत जोई दिव्यतु ज प्रभावने,
भगवान, मांगु एटले, भवोभव मळो भक्ति मने;
तुज भक्तिथी “मुक्तिकिरण”नी ज्योत जागो अंतरे. धरुं 8

Jain Stuti of Shree Shatrunjay Mahatirth

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