Virti Na Baag Ma Ramva Male (Lyrics)विरती ना बागमां रमवा मळे...
तर्ज: (चांद ने कहो)
पापणो आ पलके ने, दर्श तारु सापडे,
एबुं मंगल जीवन मळे,
दोषो मारा विरमे ने, गुणो खीले हर पळे,
एवं संयम जीवन मळे,
विरती ना बागमां रमवा मळे,
महाव्रत ना महेलमां वीचरवा मळे...
अंतरनी चाहना, संयम नी साधना,
गुरु तारा जेवी मळे,
विरती ना बागमां रमवा मळे,
महाव्रत ना महेलमां वीचरवा मळे...
हु तो नानी कडी छु, तारा पंथे वळी छु,
माहरो योगक्षेम सदा ए करशे,
तारी आंगळी जाळी, पा पा पगले हु चाली,
मने परम नी सफर करवा जे,
तारा वचनो ने जेल, फूल थईने हु खीखें,
गुरु तारी कृपा एहवी तो फळे,
विरती ना बागमां रमवा मळे,
अष्टप्रवचन माता ना, खोळे जई रमीश,
हु तो धन्य धन्य थईश..(३)
हु तो श्रमणी बनीश, सागरमां जई भळीश,
भव सागर थी तरीश,
हु तो धन्य धन्य थईश..(३)
मारा श्वासोमां संयम, मारी वातोमां संयम,
मारा आत्मप्रदेशो छलके संयम,
मारी काली घेली भाषा व्यक्त, करे एवी आशा मने,
मेळवो छे संयम नो आनंद,
मने रजोहरण आपो, मारा भवभ्रमण कापो,
माहरो आत्मा स्वरूप मां ठरे,
विरती ना बागमां रमवा मळे,
महाव्रत ना महेलमां वीचरवा मळे...
स्तुति नी चाहना, संयम नी साधना,
गुरु तारा जेवी मळे...
विरती ना बागमां रमवा मळे,
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