दिनांक १४ मई वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया~दान दिवस
इछु रस से किया पारणा श्री जिन रिषभ कुमार
धन्य हूई अक्षय तृतीया धन्य श्रैयांश कुमार
जन्मे जब प्रभु अवतारी है तीन लोक के स्वामी
ओ आदिनाथ तुम्हारे चरणो मे हम सबका वन्दन
ओ आदिनाथ तुम्हारे चरणो मे हम सबका वन्दन है
श्री आदिनाथ भगवान का इतिहास इस तीर्थ से जुड़ा हुआ है। प्रभु का पारणा अक्षय तृतीया के दिन हस्तिनापुर में ही हुआ था। हस्तिनापुर उत्तर प्रदेश में मेरठ के एक प्राचीन नगर,जो कौरवों और पांडवों की राजधानी भी रही थी। महाभारत में वर्णित लगभग सारी घटनाएँ हस्तिनापुर में ही हुई थीं। अभी भी यहाँ महाभारत काल से जुड़े कुछ अवशेष मौजूद हैं।इनमें कौरवों-पांडवों के महलों और मंदिरों के अवशेष प्रमुख हैं।
जैन पुराणों के अनुसार~अयोध्या नगरी की रचना देवों ने की थी,उसी प्रकार हस्तिनापुर की रचना भी देवों द्वारा की गयी थी। अयोध्या में वर्तमान के ५ तीर्थंकरों ने जन्म लिया तो हस्तिनापुर को शान्तिनाथ,कुन्थुनाथ,अरहनाथ इन ३ तीर्थंकरों को जन्म देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इतना ही नहीं,इन तीनों जिनवरों के ४/४ कल्याणक(गर्भ,जन्म,तप,ज्ञान) हस्तिनापुर में इन्द्रों ने मनाए हैं ऐसा वर्णन है।३ बार यहाँ पर १५-१५ मास तक कुबेर ने अगणित रत्नों की वृष्टि की थी अत: रत्नगर्भा नाम से सार्थक यह भूमि प्राणिमात्र को रत्नत्रय धारण करने की प्रेरणा प्रदान करती है।ये तीनों तीर्थंकर चक्रवर्ती और कामदेव पदवी के धारक भी थेl
प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को १ वर्ष ३९ दिन के उपवास के पश्चात् अक्षय तृतीया को हस्तिनापुर में ही युवराज श्रेयांस एवं राजा सोमप्रभ ने इक्षुरस का प्रथम आहार दिया थाlउस समय भी वहाँ पर देवों द्वारा पंचाश्चर्य वृष्टि की गई थी एवं सम्राट् चक्रवर्ती भरत ने अयोध्या से हस्तिनापुर जाकर राजा श्रेयांस का सम्मान करके उन्हेंं ‘‘दानतीर्थ प्रवर्तक’’की पदवी से अलंकृत किया थाl Jain Dharm Me Akshaya Tritiya Ka Mahatv
हस्तिनापुर एवं उसके आसपास में इक्षु-गन्ने की हरी-भरी खेती आज भी इस बात का परिचय कराती है कि कोड़ाकोड़ी वर्ष पूर्व भगवान के द्वारा आहार में लिया गया गन्ने का रस वास्तव में अक्षय हो गया है।इसीलिए उस क्षेत्र में अनेक शुगर फेक्ट्रीज,गुड, खांड और चीनी बनाकर देश के विभिन्न नगरों में भेजते हैं।इसी प्रकार से हस्तिनापुर की पावन वसुन्धरा पर रक्षाबन्धन कथानक,महाभारत का इतिहास,मनोवती की दर्शन प्रतिज्ञा की प्रारम्भिक कहानी आदि प्राचीन इतिहास प्रसिद्ध हुए हैं।जिनका वर्णन प्राचीन ग्रंथों में प्राप्त होता है और हस्तिनापुर नगरी की ऐतिहासिकता सिद्ध होती हैl Jain Dharm Me Akshaya Tritiya Ka Mahatv
वैशाख सुद 3 के दिन श्रेयांस कुमार ने आदिनाथ प्रभु को दीक्षा लेने के 400 दिनों के पश्चात प्रथम पारणा इक्षुरस (गन्ने का रस) से हस्तिनापुर में कराया था
शांति कुंथु और अरहनाथ की जन्मभूमि प्यारी
सब तीर्थों में तीर्थ हस्तिनापुर की छवि न्यारी।
इक्षुरस का कीया पारणा, आखा तीज महान
जय जय आदिनाथ भगवान जय जय आदिनाथ भगवान।
ॐ ह्रीं अर्हं श्री आदिनाथाय नमः
इस मंत्र के भावपूर्वक अधिक से अधिक जाप कीजिये
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