Shri Ghantakarna Mahavir Stotra | श्री घंटाकर्ण महावीर स्तोत्र
श्री घंटाकर्ण महावीर स्तोत्र एक लोकप्रिय जैन स्तवन है, जिसे संकट, भय और रोगों की निवारण हेतु पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र भक्तों को मानसिक व शारीरिक संकटों से रक्षा का अनुभव कराता है.
श्री घंटाकर्ण महावीर स्तोत्र
ॐ घंटाकर्णो महावीरः सर्वव्याधि-विनाशकः।
विस्फोटक भयं प्राप्ते, रक्ष-रक्ष महाबलः ॥1॥
यत्र त्वं तिष्ठसे देव! लिखितोऽक्षर-पंक्तिभिः।
रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति, वात पित्त कफोद्भवाः ॥2॥
तत्र राजभयं नास्ति, यान्ति कर्णे जपात्क्षयम्।
शाकिनी -भूत वेताला, राक्षसाः प्रभवन्ति नो ॥3॥
नाकाले मरणं तस्य, न च सर्पेण दृश्यते।
अग्नि चौर भयं नास्ति, नास्ति तस्य प्यरि-भयं ॥4॥
ॐ ह्वीं श्रीं घंटाकर्णो नमोस्तु ते ठः ठः ठः स्वाहा।
यह मंत्र का जाप आधी व्याधि उपाधि को दूर करने के लिए 108 बार करे । 
२७ वार पाठ करने से सभी प्रकार के भय एवं कष्ट दूर होते हैं।
मंत्र – 2 घंटाकर्ण चमत्कारि मंत्र
॥ ॐ हरी श्री क्ली ब्लूँ ही घंटाकर्णो नमोस्तुते ॐ ॥
मंत्र : 3 घंटाकर्ण लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र
॥ ॐ ही श्री क्ली क्रौं ॐ घंटाकर्ण महावीर लक्ष्मी पूरय पूरय सुख सौभाग्यं कुरू कुरू स्वाहा ॥
श्री घंटाकर्ण महावीर स्तोत्र का महत्व
- यह स्तोत्र विशेषतः सभी प्रकार के भय, रोग, चोर, सर्प, भूत-प्रेत, राजबन्धन आदि से सुरक्षा प्रदान करने के लिए पढ़ा जाता है ।
- उसके उच्चारण से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा का भाव उत्पन्न होता है ।
- जैन समाज के अनेक साधक इसे संकटग्रस्त अवस्था में नियमित पढ़ते हैं ।
पूजन एवं जपविधि
- स्तोत्र को शुद्ध उच्चारण के साथ, एकाग्र चित्त से पढ़ने की सलाह दी जाती है ।
- पूर्ण श्रद्धा और भावना के साथ इसका जप करने से मनोकामना पूर्ण होने का विश्वास है ।
- संकट काल में या प्रतिदिन 21 बार इस मंत्र का जप करना श्रेष्ठ माना जाता है ।
- यह स्तोत्र विश्वास, श्रद्धा और सुरक्षा का अद्भुत मंत्र है, जिसे विधिवत पढ़ना लाभकारी होता है।
 

 
 
 
 
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