मने वेश श्रमणनो मळजो 2 | MANE VESH SHRAMAN NO MALJO 2.0 Lyrics In Hindi | Diksha Song Lyrics
मने वेश श्रमणनो मळजो 2
मोहनां बंधन ढळजो, मने वेश श्रमणनो मळजो...
अंग-अंग आजे उमंगे, रजोहरणने तलसे,
संग-संग वैरागी संगे, रहेवा आतम झंखे,
गुरुजीनां हस्ते हूं तो, संयम स्वीकारूं रे,
भीतरनां हूं ने विसारूं रे...
मोहनां बंधन तळजो, मने वेश श्रमणनो मळजो...
चौमुख नाणमां, प्रभुजी पधारो रे,
प्रव्रज्यानां आदेशोने, उरमां कंदारो रे,
झालो मारो हाथ हवे, जगने भुलावो रे,
आतमनी निर्मळताथी, उरने सजावो रे,
प्रभु तुज आण हूं तो, सर्व स्वीकारूं रे,
भीतरनां हूं ने विसारू रे..
मोहनां बंधन तळजो, मने वेश श्रमणनो मळजो...
हाथे आव्यं रजोहरण ने, हैयुं केतुं नृत्य करे,
मुखडू मलके, आंखों छलके, आतमजी ठहुंकार करे,
आश्रव नासे, संबर वागे, वीर चरण हूं साधुजी,
श्रुत संवेग ने, आतम बळथी, संयमने आराधुजी,
मळ्यो रे मने वेश श्रमणनो मळ्यो...
Lyrics: Yash Mehta & Saiyam Kubadiya
0 Comments