मेवा मळे के ना मळे | Mukti male ke na male Lyrics - Jain Stavan Lyrics
मेवा मळे के ना मळे,
मारे सेवा तमारी करवी छे,
मुक्ति मळे के ना मळे,
मारे भक्ति तमारी करवी छे
मारो कंठ मधुरो ना होय भले,
मारो सूर बेसूरो होय भले
शब्द मळे के ना मळे,
मारे कविता तमारी करवी छे ।।१।।
मुक्ति मळे के ना मळे…
आवे जीवनमां तडका ने छांया
सुख दुःखना पडे त्यां पड्छाया,
काया रहे के ना रहे
मारे माया तमारी करवी छे ।।२।।
मुक्ति मळे के ना मळे…
हुं पंथ तमारो छोडुं नहीं
ने दूर दूर क्यांय दोडुं नहीं,
संसारने हुं छोडी शकुं
एवी युक्ति मारे करवी छे ।।३।।
मुक्ति मळे के ना मळे…
मेवा मळे के ना मळे,
मारे सेवा तमारी करवी छे,
मुक्ति मळे के ना मळे,
मारे भक्ति तमारी करवी छे
मुक्ति मळे के ना मळे…
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